Wednesday, June 18, 2008

कल हो न हो



आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बीताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना और दीमाग को पुराने पल याद हो ना हो
आज एक बार फीर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फीर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते और ये यादें हो ना हो
आज एक बार मंदीर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो
बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह कल ये बारीश भी हो ना हो
आज हर काम खूब दील लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरहकल बाजुओं मे ताकत हो ना हो
आज एक बार चैन की नींद सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जींदगी मे चैन और आखों मे कोई सपना हो ना हो
क्या पता कल हो न हो