अच्छा लगता है
किसी छुट्टी वाले दिन
अतीत की अल्मारी से
किसी मनपसंद किताब को निकालना
और खुशबू वाली चाय की
चुस्कियों में डूब कर
एक-एक शब्द में डूबते जाना।
अच्छा लगता है
पालतू तोते के साथ बतियाना,
आंगन में फुदकती चिड़िया के साथ हो लेना
या फिर मिनी के लिए
आटे की चिरैया बना कर देना।
अच्छा लगता है
बरसों पुरानी चिट्ठियों को पढ़कर
कभी हँसना तो कभी रोना...
और खुशबू वाली ठंडी हो चुकी
चाय को एक ही साँस में पी लेना।
अच्छा लगता है
छुट्टी वाले दिन
आया की छुट्टी कर देना
और तुम्हारे लिए नाश्ता बनाना।
इन्हीं यादों के साथ
अच्छा लगता है बाकी के छ: दिन
विश्वविध्यालय तक का सफर करना
ऑफिस की पॉलिटिक्स को सहना
और सुबह से निकलकर देर रत को लौटना॥