Wednesday, October 15, 2008

उसकी गली में.......


उसकी गली में फिर मुझे एक बार ले चलो।
मजबूर कर के मुझको मेरे यार ले चलो।

दीवाना कह के लोगों ने हर बात टाल दी।
दुनीया ने मेरे पैरो में ज़ंजीर डाल दी।

चाहो जो तुम तो मेरा मुक़द्दर संवार दो।
यारो ये मेरे पैरो की बेडी उतार दो।

उसने किया है मिलने का इकरार, ले चलो.................
उसकी गली में फिर मुझे एक बार ले चलो.................

तुम हरदम खुश रहा करो ...



कहते है वो की
"हम पर कोई शेर लिखा करो ।"
सोचते है हम के क्या लिखा करे
सिवाए इसके की 
तुम महेकती बहारों की तरह ,
झील मीलाती पत्तीयों की तरह ,
जी भर के जिया करो , खुश रहा करो............
दिन में उमंगें लीये ,
रात में सुहाने सपने लीये ,
जी भर के जिया करो, खुश रहा करो.............
अगली सुबह को हसी के साथ मिला करो
तुम्हारे लिए और क्या आरजू होगी
'मेरे हमसफ़र' जी भर के जिया करो, तुम हरदम खुश रहा करो ...