Wednesday, November 21, 2012

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है
किसी छुट्टी वाले दिन
अतीत की अल्मारी से
किसी मनपसंद किताब को निकालना
और खुशबू वाली चाय की
चुस्कियों में डूब कर
एक-एक शब्द में डूबते जाना।
अच्छा लगता है
पालतू तोते के साथ बतियाना,
आंगन में फुदकती चिड़िया के साथ हो लेना
या फिर मिनी के लिए
आटे की चिरैया बना कर देना।
अच्छा लगता है
बरसों पुरानी चिट्ठियों को पढ़कर
कभी हँसना तो कभी रोना...
और खुशबू वाली ठंडी हो चुकी
चाय को एक ही साँस में पी लेना।
अच्छा लगता है
छुट्टी वाले दिन
आया की छुट्टी कर देना
और तुम्हारे लिए नाश्ता बनाना।
इन्हीं यादों के साथ
अच्छा लगता है बाकी के छ: दिन
विश्वविध्यालय तक का सफर करना
ऑफिस की पॉलिटिक्स को सहना
और सुबह से निकलकर देर रत को लौटना॥