Saturday, June 12, 2010

मुस्कान के पीछे का दर्द

ऐसी तो बिलकुल नही थी वो, उसकी मुस्कान के पीछे जो दर्द था उसे हर किसी के लिए समझ पाना नामुमकिन था। कहते है की शादी दो परिवारों, दो आत्माओ का मिलन है, पर न जाने क्यूँ दिलों के बंधन तो आज भी खुले है। मेरी दोस्त क्या थी और क्या हो गयी। लंबा अरसा हो गया शादी को एक छोटा बच्चा भी है । आज कितनी उदास है ये तो नही कह सकता लेकिन कल कितनी हसमुख थी , इसका अंदाजा हलकी बारिस के बाद सतरंगी मोसम में महकते फूलों पर चहकते पक्षियों को देख कर लगाया जा सकता है। क्या शादी का मायने यही है की व्यक्ति की निजी आजादी का खो जाना, खो जाना उसकी मुस्कान का, उसके सपनो का। कहते है की शादी कोई जाल नही, वो तो एक डोर है जिसमे आदमी जन्म भर के लीये बंध जाता है। लेकिन उसके लिए  शादी एक जाल हो गयी जिसमे वो फस गयी। उसके मन में पति के तानो का जवाब देने की काशीश  रहती है। पुरुषवादी समाज में उसका जी चाहता है की वो कह सके....


जानते हो, एक दबी हुई इच्छा है कि
मै ऑफिस से आऊँ, और तुम घर पर रहना
आकर तुम्हे कहूँ
जान, आज काम ज्यादा था
इतना थक गयी की कि पुछो मत
तुम्हारा ही काम अच्छा है
घर मे रहते हो, सारा दिन सोये रहते हो....

जानते हो, जी चाहता है कि
मै भी मचल के कहूँ
जान, तुम ऐसे क्यों रहते हो
हमारा भारतीय परिधान धोती कुर्ता
कितना अच्छा लगता है
क्यो तुम हर दिन अंग्रेज बन इठलाते हो

जानते हो, कुंडली मारकर एक इच्छा दबी बैठी है कि
एक दिन शान से कहूँ
जानते हो दाल चावल का भाव
इतने महंगे सामान
मेरी जेब से आते हैं
तुम्हारे घरवाले थोड़ी ना लाते है।

पति पत्नी मिलकर जीवन को जीयें ऐसा कहती है वो लेकिन उन दोनों में कोन है जो अपने धरम को सही ढंग से नही निभा पा रहा। वो मेरी दोस्त है इसलिए उसकी तरफदारी करूँगा तो आप मुझ पर तरफदारी का इल्जाम लगेंगे। लेकिन जब वो मेरी दोस्त है तो उसके तरफदारी करना मेरा धरम है, लेकिन आज सिर्फ उसको पक्ष लेने से दोस्ती का धरम पूरा नही हो जाता। उसके जीवन की गाडी पटरी पर आने का नाम नही ले रही। उसका जीवन साथी अपने धरम को निभा सकने में कितना सफल है नही पता, क्यूंकि एक दिन उसने कहा....

याचना नही है, बता रही हूँ कि अब जीना चाहती हूँ...
बहूत हो गया
अब तलक तुम्हारे बताये रास्ते पर जीती गयी,
जीती गयी या यूँ कहूँ की जीवन को ढो़ती गयी।
पर अब ऐसा नही होगा
हाँ
तुम्हे कोई दोष नही दे रही हूँ
ना ही अपनी स्थिती को
जायज या नाजायज
बताने के लिये लड़ रही हूँ।
मै बस इतना कह रही हूँ
कि
आगे से अब सब बदलेगा
मै अपने शर्तो पर अपने आपको रखूँगी
और जीवन को ढो़ने के बजाय जीऊँगी।
हाँ मेरे जीवन मे
अगर तुम चाहो तो
तुम भी शामिल रहोगे।
यह न्योता नही है
बतला रही हूँ,
तुम चाहो तो मेरे हमकदम बनकर साथ चल सकते हो।
एक आसमान जिसमे हम दोनो का
अपना अपना अस्तित्व हो
वो जमीं
जिसमे हम दोनो की अपनी अपनी जड़े हों
वो मौसम
जिसमे हम दोनो की खुशबु हो
ऐसे वातावरण मे जहा
हम दोनो साँस ले सकें।
पर अगर तुम्हे ये मन्जूर ना हो
तो भी
मै बता रही हूँ।


अकेले जीवन जीना बोझ लगता है, लेकिन आज वो ऐसा कह कर खुद को अकेले में हल्का महसूस करती  है। हमेसा ही पति पत्नी के बीच 'मै' का अहम् टकराता रहा तो एक दिन.....

कभी कभी किसी मोड़ पर रूककर
टटोलती हूँ, अपने आपको
सोचती हूँ
क्या तुम सही थे?

कई बार सोचती हूँ
और जब तुम याद दिलाते हो
कि आज भी तुम हो
तब बेचैनी बढ जाती है

पर सोचो ना
"तुम हो" तुमने यह जताया
पर "मै भी हूँ"
क्या तुम यह जान सके?

"मेरे होने" को तुम अनदेखा करते रह गये
तुम्हारा होना इतना हावी हो गया कि
मुझे खुद को बचाने के लिये
तुम्हारी गली छोड़नी पड़ी

"तुम हो" मै जानती हूँ
पर "मै" भी "हूँ"
तुम नही जान पाये
"मै" वही जी पाऊँगी
जहाँ "मेरा होना" भी होगा

यही सोचकर
फिर से चल पड़ी हूँ
पर तुम्हे बताकर जाना चाहती हूँ
कि जब तुम्हे लगे कि
"तुम्हारे" साथ "मेरा" भी होना
तुम्हे परेशान नही करता
आ जाना
फिर इस अनंत गगन मे
"हम" रहेंगे
मै और तुम से अलग
"हम" बनकर ।

दोस्त मै उम्मीद करूँगा की तुम ऑफिस से आकर कह सको की बहुत थक गयी हो, मै दुआ करूँगा की तू जी सको हम बनकर....

2 comments:

Anonymous said...

main es visey ke pakch me hu kyoki jis prkar stri or purush jivan rupi gadi ke do phiye hai ek ka bhi astitv na hone per jiven nahi cal sakta usi prkar apne jiven me her kisi ka apna ek astitv hai or her kisi ko esy jine ka purd adhikar hai,ye koi niyem nahi ki vo apni phcan kho de ya apne astitv ko kho jane de serf es karn kyoki vidata ne use ek stri bnaya hai , rhi baat vivah ki to ek nari apna srvesv chod ker matr ek jivensathi ke bhrose apna sampurd jiven privertit kerne ko teyar ho jati hai , uski her khusi her gam her kamoshi ko apna bna leti hai to purush ka etna katvy to banta hai kivo uske sapno ko apna ske. (POOJA)

Anonymous said...

bahut khoob lagta hai aapke kisi apne ki kahani ko aapne shabdon me utaara hai
koi aapki apni