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अगर तू इश्क में बरवाद नहीं हो सकता,
जा तुझे कोई सबक याद नहीं हो सकता।
सैकडों उदाहरण मिल जायेंगे जहां प्रेमी ने प्रेमिका की खुशी के लिये बलिदान दिये। बर्बाद हुये। कहानी 'उसने कहा था' के लहनासिंह की प्रेमकथा 'तेरी कुडमाई हो गयी?' के जवाब- 'धत्त' में पूरी जाती है। पर इसका निर्वाह लहनासिंह अपनी कुर्बानी देते हुये प्रेमिका के पति की जान बचाकर करता है. जयशंकर प्रसाद की कहानी 'गुंडा' के बाबू नन्हकू सिंह की बोटी-बोटी कटकर गिरती रहती है पर गंडासा तब तक चलता रहता है जब तक राजा-रानी सकुशल नहीं हो जाते। कारण वो कभी रानी को चाहते थे (जब वो कुंवारी थीं) । शादी नहीं हो पायी पर प्रेमपरीक्षा में पास हुये-अव्वल।
प्रेम परीक्षा में पतियों का मामला काफी ढीला रहा। चाहे वो राम रहे हों या पांडव। जब उनकी पत्नी को सबसे ज्यादा उनकी जरूरत थी तब ये महान लोग धर्मपालन, नीतिगत आचरण में लगे थे।
बिछडते वक्त बहुत मुतमइन थे हम दोनों, किसी ने मुड के किसी की तरफ नहीं दखा।
6 comments:
sir bhut achha likha hai
hi good yaar mujhe nahi pata tha ki tum itna aacha likhte ho
hi great men
hi,
Great awesome!
bade din baad aapkee kalam chali
shubhkamnayen
bahut khoob sir
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